कई राज्यों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही, लेकिन जांच में हो रही कमी

कई राज्यों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही, लेकिन जांच में हो रही कमी

सेहतराग टीम

एक ओर कई राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन जांच पर कम जोर दिया जा रहा है। प्रतिदिन मिलने वाले आकड़ों पर गौर करें तो इन राज्यों में जांच से कई गुना ज्यादा संक्रमित मिल रहे है। राष्ट्रीय स्तर पर कुल मामलों में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 20 फीसदी है, लेकिन देश में होने वाली जांच में सिर्फ सात फीसदी हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है।

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महाराष्ट्र की तरह ही कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में जांच का आंकड़ा संक्रमित मरीजों से कम है। वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार की बात करें तो दोनों राज्यों को मिलाकर 22.4 फीसदी जांच हुई है जबकि यहां ये 8.3 फीसदी संक्रमित मरीज मिले हैं। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर रिजो एम जॉन का कहना है कि यूपी, राजस्थान, हरियाणा और चंडीगढ़ जैसे शहरों में फिर से उछाल देखने को मिल रहा है। लेकिन रोजाना होने वाली जांच पर ध्यान देने से संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि देश में अभी भी एंटीजन जांच पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया जा रहा है। जबकि इसकी गुणवत्ता आरटी पीसीआर की तुलना में कम है।

महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों में गिरा जांच का ग्राफ

आरटी पीसीआर जांच पर अभई भी राज्य गंभीर नहीं है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एंटीजन जांच के जरिए मिसिंग केस के बढ़ने की आशंका हो सकती है। क्योंकि इसमें लक्षण मिलने वालो की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद आरटी पीसीआर जांच आवश्यक है। इसे लेकर देश के ज्यादातर राज्य गंभीर नहीं है। देश के कई जिलों में संक्रमण बढ़ने के सबूत मिल रहे है लेकिन यह सच है कि सबसे ज्यादा दिल्ली में फैसले लिए जा रहा है।

सात दिन में औसतन 9.3 लाख जांच

देश में पिछले सात दिन में हुई जांच के आंकड़ों पर गौर करें तो सात दिन में औसतन रोजाना 9.3 लाख सैंपल की जांच हुई है। यह स्थिति तब है जब देश में 80 लाख संक्रमित मरीज होने पर रोजाना 10.5 लाख से अधिक जांच हो रही थी। प्रो. रिजो का कहना है कि आरटी पीसीआर जांच पर फोकस करने के साथ तत्काल निगरानी की बदौलत मरीजों को समय रहते आइसोलेट किया जा सकता है। ऐसा करने से संक्रमण का प्रसार भी रोका जा सकता है।  

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